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Friday, November 7, 2014


धुंधला सा आभामंडल था,
प्लास्टिक का कमंडल था
कल तक बीए फेल थी,
अफवाहों की रेल थी
सैकिल को भाव न देती थी,
पेट्रोल की खुसबू लेती थी
चक्षुरक्षक काले छल्ले थे,
विटामीन के थल्ले थे
मोहल्ले में उजियारा था,
रॉकी फिरता मारा मारा था
कलाई थी एक केंचुली सी, रबड़-
कचकड़ से मंतली सी
समय तुमपे प्रसन्न हुआ,
रॉकी कैमरापर्सन्न हुआ
जुगाड़ से तुम चमक उठी,
खोपड़ी हमरी ठनक उठी
तुम्हारे सच्चे झूठे किस्से टीवी पे
असरदार हो गये
मान्साल्लाह तुम
खबरी हो गयी, हम खबरदार
हो गय

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