एक बार एक अजनबी किसी के घर गया।
वह अंदर
गया और मेहमान कक्ष मे बैठ गया।
वह खाली हाथ
आया था तो उसने सोचा कि कुछ उपहार
देना अच्छा रहेगा।
तो
उसने वहा टंगी एक पेन्टिंग उतारी और जब घर
का मालिक
आया,
उसने पेन्टिंग देते हुए कहा, यह मै आपके लिए
लाया हुँ।
घर का मालिक, जिसे पता था कि यह मेरी
चीज
मुझे ही भेंट दे रहा है, सन्न रह गया !!!!!
अब आप ही बताएं कि क्या वह भेंट पा कर, जो
कि पहले
से ही उसका है, उस आदमी को खुश होना
चाहिए ??
मेरे ख्याल से नहीं....
लेकिन यही चीज हम भगवान के साथ भी करते
है।
हम
उन्हे रूपया, पैसा चढाते है और हर चीज जो
उनकी ही बनाई
है, उन्हें भेंट करते हैं!
लेकिन
मन मे भाव रखते है की ये चीज मै भगवान को दे
रहा हूँ!
और सोचते हैं कि ईश्वर खुश हो जाएगें।
मूर्ख है हम!
हम यह नहीं समझते कि उनको इन सब चीजो
कि जरुरत
नही।
अगर आप सच मे उन्हे कुछ देना चाहते हैं
तो अपनी श्रद्धा दीजिए,
उन्हे अपने हर एक श्वास मे याद
कीजिये और
विश्वास मानिए प्रभु जरुर खुश होगा !!
अजब हैरान हूँ भगवन
तुझे कैसे रिझाऊं मैं;
कोई वस्तु नहीं ऐसी
जिसे तुझ पर चढाऊं मैं ।
भगवान ने जवाब दिया :" संसार की हर वस्तु
तुझे मैनें दी है।
तेरे पास अपनी चीज सिर्फ तेरा अहंकार है,
जो मैनें नहीं दिया ।
उसी को तूं मेरे अर्पण कर दे। तेरा जीवन सफल
हो जाएगा
.
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Wednesday, July 8, 2015
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